बनावटें हुज़ूर की किरचों से पूछिये
दोस्ती का जिनके बड़ा चर्चा रहा है...
रिश्ते तमाम लेते रहे हैं जो काम में
रिश्तों का उनके दर पे सदा मजमा रहा है....
किस खूबी से खेलते हैं खेल देखिये
पासों को खुद ही चलने का गुमान रहा है....
कालिख कलेजे की छलकी जो आँख से
कहते हैं बड़े शौक से कि कजरा रहा है...
बड़े दिनों के बाद बेबहर ख़याल ......
वाह! यह अंदाज तो मुझे नया लग रहा है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-06-2018) को "क्या होता है प्यार" (चर्चा अंक-3007) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
व्वाह व्वाह बहुत ही उम्दा सृजन ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब भाव रचना के ... अब नियमित हो जाएँ ब्लॉग पर तो बात बने ...
दीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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जवाब देंहटाएंgood work keep it up iAMHJA
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