tag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post5179280273226524836..comments2023-10-08T04:22:50.432-07:00Comments on गीत मेरे ........: पेट की आग से क्या बड़ी है इनके तन की आग .....वाणी गीतhttp://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-69199381576038614622016-09-12T22:10:22.952-07:002016-09-12T22:10:22.952-07:00जिनके पेट भर होते हैं उनको कहाँ भूख की आग का पता ह...जिनके पेट भर होते हैं उनको कहाँ भूख की आग का पता होता है ।एक कड़वा प्रश्न करती रचना ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-90372918383479530962015-07-18T19:08:25.962-07:002015-07-18T19:08:25.962-07:00 जब अनदेखा करते हैं तो यही कारण मन में आता है ....... जब अनदेखा करते हैं तो यही कारण मन में आता है ...... बन्जारे .....दिहाड़ी मजदूर . ..और भिखारी ...... बच्चे ही बच्चे लिए घूमते रहते हैं ..... :-(Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-66743541485676179032015-05-16T18:04:29.263-07:002015-05-16T18:04:29.263-07:00
कुछ आंखों की आग शांत नहीं हो पाती .... हालात और ... <br />कुछ आंखों की आग शांत नहीं हो पाती .... हालात और वक्त इजाजत ही नहीं देते<br />सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-77144699376110524652015-01-29T05:42:57.989-08:002015-01-29T05:42:57.989-08:00अनुपम रचना...... बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति क...अनुपम रचना...... बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...<br />नयी पोस्ट<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो</a><br />मुकेश की याद में<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@चन्दन-सा बदन</a><br />प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-1163270827419730962015-01-12T22:03:55.580-08:002015-01-12T22:03:55.580-08:00पेट की आग ही है जो सब कुछ करवा देती है ... समय की ...पेट की आग ही है जो सब कुछ करवा देती है ... समय की विडंबना है न चाहते हुए भी सब कुछ करना पड़ता है ... कटु सत्य लिखा है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-85473188185361428892015-01-11T08:52:51.049-08:002015-01-11T08:52:51.049-08:00भावपूर्ण अभिव्यक्ति...भावपूर्ण अभिव्यक्ति...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-7225195880227479272015-01-10T22:37:13.393-08:002015-01-10T22:37:13.393-08:00:(:(Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-7607274661666679642015-01-09T06:41:27.104-08:002015-01-09T06:41:27.104-08:00हमारे देश में यह दृश्य काफी बार देख सकते हैं।हमारे देश में यह दृश्य काफी बार देख सकते हैं।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-75367922829010519082015-01-09T04:19:48.113-08:002015-01-09T04:19:48.113-08:00मर्मस्पर्शी रचना मर्मस्पर्शी रचना कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-15616651682249123002015-01-09T01:33:26.427-08:002015-01-09T01:33:26.427-08:00मार्मिक रचना..मार्मिक रचना..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-46000324358499668152015-01-08T23:00:39.997-08:002015-01-08T23:00:39.997-08:00गरीबी या औरत तेरी यही कहानी ..गरीबी या औरत तेरी यही कहानी ..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-62433863271724325692015-01-08T18:44:59.055-08:002015-01-08T18:44:59.055-08:00तकलीफदेह स्थिति बयान की आपने . तमाम ज्ञान /प्रचार ...तकलीफदेह स्थिति बयान की आपने . तमाम ज्ञान /प्रचार के बावजूद न रूकती ये परिस्थितियां किस ओर इशारा करती हैं , यही विचार बन जाता है . आभार !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-48453974528072157422015-01-08T18:40:09.377-08:002015-01-08T18:40:09.377-08:00आभार !आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-42578056255868135192015-01-08T18:03:59.285-08:002015-01-08T18:03:59.285-08:00सार्थक भावप्रणव मार्मिक रचना।सार्थक भावप्रणव मार्मिक रचना।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-73438844979972546052015-01-08T06:22:36.501-08:002015-01-08T06:22:36.501-08:00मैंने एक बार बचपन में अपने पिताजी को कहा था कि मुझ...मैंने एक बार बचपन में अपने पिताजी को कहा था कि मुझे सर्दियाँ बहुत अच्छी लगती हैं, क्योंकि हमें बहुत अच्छे अच्छे स्वेटर पहनने को मिलते हैं. तब पिताजी हमें रात को सड़क पर ले गये यह दिखाने की यह मौसम कितना खराब होता है. <br />बरसों बाद मैंने कलकत्ता में एक होटल के ठण्डे चूल्हे की राख निकलने वाले छेद में एक साथ आठ लोगों को आधा बदन डाले सोते देखा तो विश्वास नहीं हुआ कि यह मनुष्य हैं!! <br />आज आपकी कविता ने ( बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर) वही भाव फिर से जगा दिये... मन भर आया!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-59128082484953027052015-01-07T21:34:11.500-08:002015-01-07T21:34:11.500-08:00कभी पेट की आग में जलती हैं, कभी हवश का शिकार होती ...कभी पेट की आग में जलती हैं, कभी हवश का शिकार होती है ...................और कभी कोख को भी बाजारू माल की तरह प्रदर्शित कर रही होती है। कभी अपनी मजबूरी से कभी पीछे छुपे माफिया की जोर से ।अजय त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/06546645458064441709noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-15749815889386905072015-01-07T19:40:59.459-08:002015-01-07T19:40:59.459-08:00निःशब्द करती पंक्तियाँ, कैसी विडंबना और कैसा सवाल ...निःशब्द करती पंक्तियाँ, कैसी विडंबना और कैसा सवाल ? डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-1755015417338670812015-01-07T19:00:22.619-08:002015-01-07T19:00:22.619-08:00वहशीपने को मरे शरीर में भी सिर्फ अपनी आग दिखाई देत...वहशीपने को मरे शरीर में भी सिर्फ अपनी आग दिखाई देती है <br />सोचा है कई बार,<br />और …मन की ऐंठती स्थिति को झटका है <br />.... !!! रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-50667722204384281262015-01-07T16:52:36.899-08:002015-01-07T16:52:36.899-08:00कभी पेट की आग में जलती हैं, कभी हवश का शिकार होती ...कभी पेट की आग में जलती हैं, कभी हवश का शिकार होती हैं ।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-32205420020183757252015-01-07T15:05:28.425-08:002015-01-07T15:05:28.425-08:00आपकी कविता पढ़ी तो बचपन के दृश्य याद आये जब हमारे ...आपकी कविता पढ़ी तो बचपन के दृश्य याद आये जब हमारे गाँव में भी ऐसे लोग आते थे. ये लोग यायावरी जीवन जीते थे .<br /><br />मुझे लगता है कि ऐसा दो कारणों से हो सकता है. एक तो परिवार नियोजन के तरीकों की जानकारी नहीं होना और दूसरा उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बाल मृत्यु दर ज्यादा होना. शायद दोनों बातें इन्हें प्रभावित करती हों.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.com