tag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post2537246270754945386..comments2023-10-08T04:22:50.432-07:00Comments on गीत मेरे ........: उलटबांसी ....वाणी गीतhttp://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-64626933305308750202010-11-01T20:45:03.005-07:002010-11-01T20:45:03.005-07:00एक अर्धांगनी को सूरजमुखी की तरह छत में दिखावे के ...एक अर्धांगनी को सूरजमुखी की तरह छत में दिखावे के लिये सजाने वाले सैकड़ों लोगों की अंधेरी दुनिया पर व्यंगातमक काव्य प्रहार दिल के वादियों को झकझोर रही है कि हमारे चरित्र में भी इससे मिलती जुलती किसी अन्य प्रकार की कोई कमी तो नहीं है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-50830422498199796052010-10-30T04:32:01.514-07:002010-10-30T04:32:01.514-07:00बहुत गहरी है यह उलटबांसी।
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सुनामी: प्रलय...बहुत गहरी है यह उलटबांसी।<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">सुनामी: प्रलय का दूसरा नाम।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">चमत्कार दिखाऍं, एक लाख का इनाम पाऍं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-305464684620544892010-10-27T20:18:28.914-07:002010-10-27T20:18:28.914-07:00द्वैत को अभिव्यक्त करती सुंदर रचना, प्रेम और नफ़रत...द्वैत को अभिव्यक्त करती सुंदर रचना, प्रेम और नफ़रत दोनों ही युगपत हैं. अति सुंदर, शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-50434628227621208442010-10-23T19:38:37.049-07:002010-10-23T19:38:37.049-07:00शानदार लेखन, दमदार प्रस्तुति। कविता खूबसूरत है, अ...शानदार लेखन, दमदार प्रस्तुति। कविता खूबसूरत है, अर्थपूर्ण् भीसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-24224411356463676552010-10-23T02:49:41.882-07:002010-10-23T02:49:41.882-07:00मैं कविता का पारखी नहीं, फिर भी यहाँ आकर बहुत से भ...मैं कविता का पारखी नहीं, फिर भी यहाँ आकर बहुत से भाव लिए जा रहा हूँ। जानकारियाँ भी। आभार।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-14146209203862904452010-10-22T18:31:40.408-07:002010-10-22T18:31:40.408-07:00पढ्ता हूं हर प्रविष्टि, पर अन्तराल हो जाता है मध्य...पढ्ता हूं हर प्रविष्टि, पर अन्तराल हो जाता है मध्य । <br /><br />कविता खूबसूरत है, अर्थपूर्ण् भी । गिरिजेश जी की इस बात से व्यापक तौर पर सहमत हूं कि दो विपरीत भाव भी एक साथ समान रूप से रहते हैं इस अन्तर में । एक का न होना दूसरे का होना निश्चित नहीं करता ।<br /><br />बात सही लगी - फूल सजाने भर को रह गए हैं गमलों में; मन से निकल गया है फूलपन, आचरण से विरम गया है पुष्प-स्वभाव ।<br />पर, यह भी शुभ ही है कि अंधेरों में जीनेवाला, अंधेरों का आदमी - भले ही रस्म के लिए - फूल लगाता तो है । फूल की शख्सियत पहचानता तो है वह आदमी ।<br />उस झूठ को लूला-लंगडा मानता हूं मैं, जिसे अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये खुद को सच का जामा पहनाना होता है । इसी तरह उस अंधेरे का क्या, जिसे दिखाने को ही सही अपने आप को रौशनी का पैरोकार बनाना पडता है ।<br />मैं कहीं न कहीं फूल के प्रति आश्वस्त हूं । वह अपना काम करेगा । रोशनी में भी, अंधेरे में भी ।<br /><br />और यदि कहीं किसी नफरत पालने वाले आदमी, नफरतों के आदमी से कविता लिखने का वायदा पाइये. . . तो नाच उठिये कि उसका स्वभावान्तरण, उसका कायान्तरण, उसका अहेतुक परिष्कार होने ही वाला है । तो तत्क्षण ही कविता लिख देने का उसका झूठा वायदा निमित्त बनने वाला है उसके अस्तित्व के परिवर्तन का ।<br />फूल की ही तरह मैं कविता के प्रति भी आश्वस्त हूं । वह अपना काम करेगी ही । नफरत में भी, प्रेम में भी ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-90058914939098463332010-10-22T18:30:55.666-07:002010-10-22T18:30:55.666-07:00पढता हूं हर प्रविष्टि, पर अन्तराल हो जाता है मध्य ...पढता हूं हर प्रविष्टि, पर अन्तराल हो जाता है मध्य । <br /><br />कविता खूबसूरत है, अर्थपूर्ण् भी । गिरिजेश जी की इस बात से व्यापक तौर पर सहमत हूं कि दो विपरीत भाव भी एक साथ समान रूप से रहते हैं इस अन्तर में । एक का न होना दूसरे का होना निश्चित नहीं करता ।<br /><br />बात सही लगी - फूल सजाने भर को रह गए हैं गमलों में; मन से निकल गया है फूलपन, आचरण से विरम गया है पुष्प-स्वभाव ।<br />पर, यह भी शुभ ही है कि अंधेरों में जीनेवाला, अंधेरों का आदमी - भले ही रस्म के लिए - फूल लगाता तो है । फूल की शख्सियत पहचानता तो है वह आदमी ।<br />उस झूठ को लूला-लंगडा मानता हूं मैं, जिसे अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये खुद को सच का जामा पहनाना होता है । इसी तरह उस अंधेरे का क्या, जिसे दिखाने को ही सही अपने आप को रौशनी का पैरोकार बनाना पडता है ।<br />मैं कहीं न कहीं फूल के प्रति आश्वस्त हूं । वह अपना काम करेगा । रोशनी में भी, अंधेरे में भी ।<br /><br />और यदि कहीं किसी नफरत पालने वाले आदमी, नफरतों के आदमी से कविता लिखने का वायदा पाइये. . . तो नाच उठिये कि उसका स्वभावान्तरण, उसका कायान्तरण, उसका अहेतुक परिष्कार होने ही वाला है । तो तत्क्षण ही कविता लिख देने का उसका झूठा वायदा निमित्त बनने वाला है उसके अस्तित्व के परिवर्तन का ।<br />फूल की ही तरह मैं कविता के प्रति भी आश्वस्त हूं । वह अपना काम करेगी ही । नफरत में भी, प्रेम में भी ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-15157148777351731092010-10-22T11:03:25.117-07:002010-10-22T11:03:25.117-07:00आस मत छो़ड़िए
एक न एक दिन उसका भी दिल पिघलेगा
और...आस मत छो़ड़िए <br />एक न एक दिन उसका भी दिल पिघलेगा <br />और वो कुछ-न-कुछ अच्छा जरूर लिख जाएंगेMadhu chaurasia, journalisthttps://www.blogger.com/profile/07800523390622467943noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-20711461898087709412010-10-21T22:08:28.455-07:002010-10-21T22:08:28.455-07:00अमूर्त सी लगी यह कविताअमूर्त सी लगी यह कविताArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-6475849614987259282010-10-21T21:21:18.692-07:002010-10-21T21:21:18.692-07:00nakaraatmakta kisi ke vazood men yadi gahraayi se ...nakaraatmakta kisi ke vazood men yadi gahraayi se jud chuki ho to bahut mushkil hai prem kavita likhna...par sach to yah hai ki nafrat bhi atydhik prem ke kaaran hi shayad paida huyi ho..bewajah to koi kisi se nafrat karta nahiसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-15012109288331222222010-10-21T20:11:41.783-07:002010-10-21T20:11:41.783-07:00udi baba...fir aise aadmi aadcmi se kavita ka vada...udi baba...fir aise aadmi aadcmi se kavita ka vada liya hi kyun aapne ....bahut hee umda rachna hai badhaiस्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-63836443011337920772010-10-21T20:04:38.450-07:002010-10-21T20:04:38.450-07:00सूरजमुखी का पौधा
बालकनी को
फूलों से सजाने की
एक रस...सूरजमुखी का पौधा<br />बालकनी को<br />फूलों से सजाने की<br />एक रस्म -सी है<br />वरना प्यार तो उसे<br />अंधेरों से है ...<br />अँधेरे में जीने वाला<br />अँधेरा का आदमी ..<br /><br />Bitter truth !!<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-57700526490291588762010-10-21T19:44:42.071-07:002010-10-21T19:44:42.071-07:00राजीवजी , कविता की इतनी गहन समीक्षा करने के लिए बह...राजीवजी , कविता की इतनी गहन समीक्षा करने के लिए बहुत आभार ...ब्लॉगजगत में एक स्वस्थ परम्परा प्रारंभ करने के लिए कृतज्ञ हूँ आपकी वरना लोंग बस अपनी कृतियों की आत्ममुग्धता में ही रह जाते हैं ...<br /><br />इस कविता में एक प्यार भारी शिकायत सी है उस नफरत करने वाले से ...उसके मन में किसी के लिए तो कुछ विशेष भावना है इसलिए ही कविता लिखना चाहता है , मगर ज़माने की बेरुखी , या समय की मार झेले उस व्यक्ति के भीतर अपने उपेक्षित जीवन के लिए समाज के प्रति नफरत है , ऐसे में वह प्रेम कविता लिखेगा कैसे ...<br />यहाँ तुम , मैं और प्रेम को व्यापक अर्थ में लेने की आवश्यकता है ...तुम , मैं या प्रेम किसी एक खास व्यक्ति के लिए नहीं है ,<br />वह (कोई भी )...नफरत के साये में पला आदमी नफरत ही पालेगा ...<br />मैं(कोई भी ) ...जो चाहता है कि दुनिया से नफरतें कम हो ...एक इंसान दूसरे इंसान से प्रेम करे ...विशुद्ध प्रेम ..<br />समीर जी ने सही कहा ...निराशा है मगर नकारात्मक नहीं ....वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-82742548916884373352010-10-21T17:26:51.650-07:002010-10-21T17:26:51.650-07:00वाणी गीत जी, मैंने आपकी कविता की लंबी समीक्षा अपने...वाणी गीत जी, मैंने आपकी कविता की लंबी समीक्षा अपने ब्लॉग पर लिखी है. क्षमा चाहता हूँ कि आपसे पहले अनुमति प्राप्त नहीं किया. अगर आपको कोई आपत्ती हो तो हमें सूचित करें.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-77607198209175261592010-10-21T17:16:50.667-07:002010-10-21T17:16:50.667-07:00अब वादा किया है तो जरुर लिखेगा..उसी नफरत के अंबार ...अब वादा किया है तो जरुर लिखेगा..उसी नफरत के अंबार के नीचे छुपी प्रेम भावना निकल ही आयेगी..आशा का दीपक जलाये रखना होगा.<br /><br /><br />कहते हैं हर बुरे आदमी में अच्छाई भी होती है..बस, क्या हाबी हो जाये..<br /><br />लिखेगा पक्का!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-2878317871885313502010-10-21T16:28:00.526-07:002010-10-21T16:28:00.526-07:00अंधेरों मे जीने वाला
अंधेरों का आदमी....
एक अपनी...अंधेरों मे जीने वाला<br />अंधेरों का आदमी....<br /><br /><br />एक अपनी रचना की याद दिला गई कविता..Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-91459564923443021252010-10-21T10:59:51.743-07:002010-10-21T10:59:51.743-07:00जिंदगी ही हमें प्यार और नफरत, दोनों करना सिखाती है...जिंदगी ही हमें प्यार और नफरत, दोनों करना सिखाती है.<br />उस नफ़रत करने वाले में भी बहुत प्यार छिपा होता है, इसलिए तो वह फूल सजाता हैं और कवितायें लिखता है.<br /><br />इस कविता में 'गमले','सूरजमुखी' और बालकनी <br />के प्रतीक को समझने की जरुरत है.<br /><br />सूरजमुखी का फूल क्या है ?<br />प्रकाश खोजने वाला फूल.<br /><br />गमला क्या है ?<br />जीवन, जिसका प्रकृति में स्पेस कम होता जा रहा है.<br /><br />बालकनी क्या है ?<br />समाज का वो वो संकीर्ण कोना, जिसमे जिंदगी सिमट गयी है.<br /><br />इस कविता के पात्र के अंदर नफरत नहीं, arrogance है, अपने वजूद की दुर्दशा को लेकर और <br />इस कविता के रचनाकार के अंदर के अंदर उस पात्र के लिए करुणा और प्यार है और वो उसके जीवन में बदलाव लाना चाह्ती है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-49080496551850010752010-10-21T07:52:57.181-07:002010-10-21T07:52:57.181-07:00कभी सोचो तो उसने नफरतें क्यों पाली ? माना की हर एक...कभी सोचो तो उसने नफरतें क्यों पाली ? माना की हर एक के स्वभाव का अलग अलग धरातल होता है. लेकिन अमूमन यही होता है की इंसान जन्म से बुरा नहीं होता हालात उसे बुरा बना देते हैं.<br /><br />सुंदर रचना.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-25685920601706342592010-10-21T06:50:20.875-07:002010-10-21T06:50:20.875-07:00सजाया भी तो सूरजमुखी, वर्ना बालकनी में कैक्टस भी ल...सजाया भी तो सूरजमुखी, वर्ना बालकनी में कैक्टस भी लगा सकता था... वदा तो किया प्रेम भरी कविता लिखने का फिर कौन यकीन करेगा कि सिर्फ नफरत ही भरा है उसके वजूद में... एक बार देखने का नज़रिया, दृष्टिकोण, पर्स्पेक्टिव बदलकर देखिये.. शायद कोई रोशनी की किरण दिख जाए! <br /><b>बतर्ज़ अली साहबः कवि का निर्णय ही मान्य समझा एवम् अंतिम समझा जाए!</b>चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-29110614697560309702010-10-21T06:34:54.280-07:002010-10-21T06:34:54.280-07:00वादा किया है उसने
लिख देगा
एक कविता मुझ पर
और
प्रे...वादा किया है उसने<br />लिख देगा<br />एक कविता मुझ पर<br />और<br />प्रेम कवितायेँ लिखना<br />उसे सुहाता नहीं<br />नफरतें भरी है<br />उसके वजूद में<br />नफरतें पालने वाला<br />नफरतों का आदमी ....<br /><br />Bahut khoob !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-63394536908853434402010-10-21T05:11:38.918-07:002010-10-21T05:11:38.918-07:00वादा किया है उसने
लिख देगा
एक कविता मुझ पर
और
प्रे...वादा किया है उसने<br />लिख देगा<br />एक कविता मुझ पर<br />और<br />प्रेम कवितायेँ लिखना<br />उसे सुहाता नहीं<br />वो आदमी कैसा जिसे प्रेम कविता लिखनी ही नही आती। प्रेम बिना कविता क्या? लेकिन आप बहुत अच्छी कविता लिख लेती हैं नफरत वालों को छोडिये।<br />शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-88346848882290144522010-10-21T05:03:25.920-07:002010-10-21T05:03:25.920-07:00नफरत पालने और अंधेरे में जीने वाला आदमी , रस्मों क...नफरत पालने और अंधेरे में जीने वाला आदमी , रस्मों की परवाह कर पालता है सूरजमुखी ! तो क्यों ना हम सूरज जैसे हो जायें तब वो हमसे कभी मुंह ना फेर सकेगा !<br /><br />[ मुझे तो सूरजमुखी से एक उम्मीद सी जागती है पर कवि का फैसला अंतिम ]उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-41038381723281157662010-10-21T05:02:48.468-07:002010-10-21T05:02:48.468-07:00बेबाक-उबाक तो ठीक है ..बाकि है कौन ई जो एतना कुछ क...बेबाक-उबाक तो ठीक है ..बाकि है कौन ई जो एतना कुछ कह रहा है ..बताना तो ज़रा...अभी किलास लेते हैं हम...<br />हाँ नहीं तो..!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-40040749971269340612010-10-21T04:54:43.060-07:002010-10-21T04:54:43.060-07:00सचमुच, बेबाक रचना।सचमुच, बेबाक रचना।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8591789211715949032.post-43518846474119863792010-10-21T03:35:06.779-07:002010-10-21T03:35:06.779-07:00बहुत ही बेबाक सी रचना है...नफरत बिछी जमीन पर प्रेम...बहुत ही बेबाक सी रचना है...नफरत बिछी जमीन पर प्रेम- कुसुम कैसे खिलाएं....भले ही रस्मादय्गी को गमले में फूल सजा ले पर नफरत को दफ़न कर जमीन पर फूल उगाना ज्यादा मुश्किल है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com