बुधवार, 5 दिसंबर 2012

तेरा होना जैसे कि कोई ख़याल ....



सुनहरी धूप   में 
आँखों को चौंधियाते 
भुरभुरी रेत के टीबे  से 
होते हैं कुछ ख़याल 
पास बुलाते हैं इशारे से 
छू कर  देखे तो 
पल में  बिखर जाते हैं !

उम्र की सरहदों के पार 
बालों से झांकती सफेदी के बीच 
मोतियाबंदी आँखों में झिलमिलाते  
पोपले चेहरे की लजीली मुस्कराहट 
हमसाया सा  आस -पास 
जीवन भर रहता  एक  ख़याल !!

अहसास की किताबों के पन्ने 
लिखे जाते हैं स्वयं ही 
मन हुआ तो पढ़ लिया 
वर्ना पन्ने पलट दिए .
ऐसे ही किसी पन्ने पर  
लिखा हुआ  कोई ख़याल !!

काली गहरी रात के वितान पर 
सुनहरे सितारों से सजा 
बेखटके निहारते 
आसमान पर टांग दिया 
एक खयाल !


जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा 
पलकों के इर्द गिर्द रहा एक  ख्याल 
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं 
गीली रेत  पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!