रविवार, 7 अगस्त 2011

जिंदगी का गणित ऐसा ही है !




बदलते मौसम पर
हैरान क्यों हो !!

नदी का पानी
सोख लेती है कड़ी धूप
बन जाते हैं बादल
बादल घुटेंगे तो
फटेंगे ही ...

प्यार , नफरत ,
ख़ुशी और भय
लौटा देती है
द्विगुणित कर ...
इसका गणित ऐसा ही है !

सरल ,अबोध ,
मासूम,नादान
फिर भी अगम्य ...
इसी का तो नाम है
जिंदगी !

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एहतियात जरुरी है 
बोलने -बतियाने में 
लौटा देती है वही 
अनुपात में कुछ अधिक 
तो हैरान क्यूँ।

बताया तो था 
उसने अपना नाम 
जिंदगी!
---------------------------------
मुंह मोड़ कर
हाथ छुड़ा कर
पीठ फेर ली
और चलते गये
नाक की सीध में
भूल गये थे कैसे...
दुनिया गोल है !


33 टिप्‍पणियां:

  1. गहन और चिंतन के बाद निकले ये स्वर ...
    बहुत अच्छा लगा इन्हें पढ़ना ...और समझाना ..!!

    शुभकामनायें...!

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  2. • यह कविता अपने समय को पड़ताल करती है।

    यह कविता अपने समय तथा समाज से मुटभेड़ करती प्रतीत होती है। बदलते समय की आहटों को आपने बहुत तीव्रता से सुनी है और कविता में दर्ज किया है। यह एक ऐसी संवेद्य कविता है जिसमें हमारे यथार्थ का मूक पक्ष भी बिना शोर-शराबे के कुछ कह कर पाठक को स्पंदित कर जाता है।

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  3. दुनिया गोल है,फेंकी चीजें वापस आ जाती हैं।

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  4. @प्यार, नफ़रत, खुशी और भय लौटा देती है द्विगुणित कर।

    सार्थक चिंतन है, मिलता है उम्मीद से दूगना।

    आभार

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  5. प्यार , नफरत ,
    ख़ुशी और भय
    लौटा देती है
    द्विगुणित कर ...
    इसका गणित ऐसा ही है !

    सार्थक बात ... जो बांटोगे वही दुगना हो कर मिल जायेगा ...
    और दुनिया गोल है .. कब तक नाक की सीध में चलेगा इंसान ..एक दिन उसी जगह खड़ा होगा जहाँ से चला था .. बहुत गहन चिंतन ...

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  6. बेहतरीन।
    ------
    कल 09/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. गहन चिन्तन की उपज है ……………शानदार रचना।

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  8. बहुत सुंदर ! हम जो भी देते हैं वही वापस मिलता है इसलिए तो कहते हैं प्यार बांटते चलो...

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  9. इस रचना को पढकर लगता है कि सारे वेद उपनिषद का सार इसमे समा गया है. बहुत बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  10. उम्दा सोच
    भावमय करते शब्‍दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।

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  11. इस छोटी सी कविता में सम्पूर्ण दर्शन समाया है!!

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  12. sach kaha prakriti ka yahi hisab kitab hai.

    aur duniya to gol hai hi ji...chahe koi uske naarangi kahe par ham to gol hi kahenge ji.

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  13. हम सब भूल जाते है की प्रथ्वी गोल है , अच्छी रचना बधाई

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  14. प्यार , नफरत ,
    ख़ुशी और भय
    लौटा देती है
    द्विगुणित कर ...
    इसका गणित ऐसा ही है !

    यही तो है जीवन का गुणा-भाग. बहुत सुन्दर रचना....

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  15. जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।

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  16. सार्थक संवाद करती चलतीं हैं दोनों रचनाएँ .आभार .
    बुधवार, १० अगस्त २०११
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    सरकारी चिंता
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    Thursday, August 11, 2011
    Music soothes anxiety, pain in cancer "पेशेंट्स "

    जवाब देंहटाएं
  17. सार्थक संवाद करती चलतीं हैं दोनों रचनाएँ .आभार .प्यार , नफरत ,
    ख़ुशी और भय
    लौटा देती है
    द्विगुणित कर ...
    इसका गणित ऐसा ही है !
    बुधवार, १० अगस्त २०११
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    सरकारी चिंता
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    Thursday, August 11, 2011
    Music soothes anxiety, pain in cancer "पेशेंट्स "

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  18. जिंदगी के गणित को कविता में उतर दिया है. उम्दा सोच को प्रतिपादित करती सुंदर रचना.

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  19. जीवन के गणित को आसानी से सुलझाती रचना .. सरल शब्दों में गहरी बात ... लाजवाब ...

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